:-न्यूटन द्वारा प्रतिपादित गति के प्रथम नियम के अनुसार जब कोई असंतुलित बल किसी वस्तु पर कार्य नहीं कर पा रहा हो तब यदि वस्तु स्टील है तस्वीर अवस्था में और गतिशील है तो गतिशील अवस्था में ही बनी रहती है
:-अथार्थ हो सकता है कि वस्तु कोई बल कार्य कर रहा हो लेकिन संतुलन होकर नेट बॉल शून्य प्राप्त हो जाए जब वस्तु की अवस्था में परिवर्तन नहीं होता नेपाल की अनूप अनूप स्थिति में वस्तु के वेग में परिवर्तन नहीं होता है इसको निम्न उदाहरणों की सहायता से समझा जा सकता है
(1) मेज पर यदि कोई पुस्तक स्टील अवस्था में रखी हुई है जब वह हस्ती है अवस्था में ही बनी रहती है जब तक कि उस पर कोई असंतुलित बाह्य बल नहीं लगाया जाए
(2) किसी इसी प्रकार मुक्त अवकाश में गतिशील पिंड असंतुलित बल की अनुपस्थिति में अंतर तक काल तक एक ही दिशा में नियत वेग से चलता रहेगा
:–समतल लंबी मेज पर पिछला ई गई पुस्तक पैदल मारना बंद करने पर साइकल की गति गतिशील वस्तु कुछ दूरी के बाद स्वेटर रुक जाती है और आभासी रूप से यह प्रतीत होता है कि जैसे बाहिया बालों की अनुपस्थिति में गतिशील कोई वस्तु पर अपनी गति बनाए नहीं रख सकती
:-लेकिन सुख में विचारों करने पर हमें पता चलता है कि उपयुक्त उदाहरण में कोई ना कोई असंतुलित बल हवा में फेंकी गई गेंद समतल मेज पर फैलाई गई पुस्तक आदि पर कार्य अवश्य अवश्य करता है जिसके कारण इसकी गति मंद पड़ जाती है हवा में फेंकी गई गेंद पर वायु का घर्षण बल फिसलती हुई पुस्तक पर
पुस् और मेज की सतह के मध्य लग रहा घर्षण बल वह असंतुलित बल है जिसके कारण यह वस्तु है उपरोक्त उदाहरण में अपनी गतिशील अवस्था को मनाए नहीं रख पाती है यदि मेज और पुस्तक के मध्य कर्षण 0 कर दे तब पुस्तक बिना चलती